मकान मालिक किराएदारी संबंधी टेनेंसी लॉ..
मकान मालिक किराएदारी संबंधी टेनेंसी लॉ..
जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में शेल्टर अर्थात आवास अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमारे देश में आवास की समस्या हर शहर हर प्रदेश में बाहें फैलाए खड़ी है सीमित संसाधन जैसे सीमित स्थान, जमीन होने से और बढ़ती जनसंख्या व नगरीकरण की वजह से आवास की समस्या को और अधिक विकट हो गई है ऐसे में खुद का घर नहीं होने पर अनेक लोग किराए से मकान लेकर अपने परिवार के साथ निवास करते हैं अथवा खुद का स्थान नहीं होने पर किराए का स्थान लेकर व्यापार करते हैं किसी अन्य के मालिकाना हक की स्थान का उपयोग कर उसके बदले में उसका मासिक दर से रुपए प्रदान करना ही किराएदारी कहलाता है यह मासिक किराया मकान मालिक को प्रदान की किया जाता है और जो व्यक्ति स्थान का उपयोग कर किराया देता है वह किराएदार कहलाता है मकान मालिक और किराएदार के अधिकारों, कर्तव्यों, विवादों का निर्धारण इत्यादि को लेकर हमारे देश में टेनेंसी लॉ अर्थात किरायेदारी कानून बनाया गया है हर राज्य में यह अपने अपने तरीके से ड्राफ्ट किया गया है।

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट ही क्यों
आपने सामान्यतः देखा होगा कि हर जगह मकान या दुकान का किरायेदारी अनुबंध जब बनाया जाता है तो अधिकतर यह 11 महीने का ही होता है कभी आपने गौर किया है ऐसा क्यों ? चलिए हम बताते हैं,ऐसा इसीलिए की यदि 1 वर्ष से ऊपर का एग्रीमेंट बनाया जाता है तो उसको रजिस्ट्रेशन अर्थात पंजीयन कराना आवश्यक हो जाता है जिसमें आवश्यक स्टांप शुल्क एवं अन्य कानूनी औपचारिकताओं का पालन करना जरूरी हो जाता है जिस से बचने के लिए नॉन जुडिशल स्टांप पर 11 महीने का एग्रीमेंट बनाया जाता है और इसे 11 महीने उपरांत रिन्यू किया जाता है।
मकान मालिक किराएदार दोनों के अधिकारों की रक्षा
टेनेंसी लॉ के अंतर्गत मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों की रक्षा की गई है बिना कारण और बिना आधार के किराएदार को किराएदारी स्थल से बेदखल किए जाने पर रोक लगाई गई है और किराएदार को एविक्ट अर्थात बेदखल के लिए योग्य आधारों का उल्लेख भी कानून में किया गया है उचित किराया क्या होना चाहिए जैसे कानून में मानक किराया अर्थात स्टैंडर्ड रेंट क्या होना चाहिए है उसके लिए प्रावधान किया गया है साथ ही आवश्यक सुविधाएं जैसे पानी ,बिजली इत्यादि की कटौती ना हो उस बारे में भी प्रावधान किए गए हैं।
रेंट कंट्रोल अथॉरिटी
वैसे तो मकान मालिक किराएदारी के विवाद सिविल प्रकृति की श्रेणी में आते हैं और चूंकी न्यायालय में अनेक मुकदमे सिविल प्रकृति के लंबित होने से इन मुकदमों में देरी ना हो इनकी सुनवाई के लिए अधिनियम के अंतर्गत रेंट कंट्रोल अथॉरिटी की स्थापना की गई है जो कि मकान मालिक किराएदार के बीच उत्पन्न होने वाले विभिन्न मुद्दे जैसे बकाया किराए की वसूली, किराएदारी स्थल को खाली किए जाने वाले प्रकरण, आवश्यक वस्तुओं सेवाओं जैसे बिजली पानी की कटौती इत्यादि विवादों का निराकरण भाड़ा नियंत्रक अधिकारी द्वारा किया जाएगा उनकी प्रक्रिया का उल्लेख भी इन कानून में किया गया है।
एग्रीमेंट में इन बातों का रखें ख्याल
रेंट एग्रीमेंट ड्राफ्ट करते समय हस्ताक्षर करने के पूर्व एग्रीमेंट को बारीकी से पढ़ना और समझना जरूरी है लिखी गई शर्तों एवं उस में प्रयुक्त शब्दों को भी गौर से समझना आवश्यक है क्योंकि आपके हस्ताक्षर हो जाने के उपरांत आप उस एग्रीमेंट के साथ बंध जाते हैं, फिर यदि कांटेक्ट करते समय आपका उद्देश्य वह नहीं हो जिस पर अपने हस्ताक्षर किया है उसके बाद भी कानून भी आपकी मदद नहीं कर सकेगा।
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