आंकड़े बता रहे हैं तलाक के केसों में आ रही है तेजी(सोशल मीडिया, अविश्वास की भावना और सहनशीलता की कमीप्रमुख कारणों के रूप में)
आंकड़े बता रहे हैं तलाक के केसों में आ रही है तेजी(सोशल मीडिया, अविश्वास की भावना और सहनशीलता की कमीप्रमुख कारणों के रूप में)
इंदौर के विधि विशेषज्ञ एडवोकेट पंकज वाधवानी ने तलाक के मामलों पर रिसर्च करते हुए जानकारी दी कि सोशल मीडिया के
हस्तक्षेप ने भी जीवन शैली में काफी परिवर्तन कर दिया है एक दूसरे पर अविश्वास की भावना और शंका की वजह से भी तेजी
से विवाह खंडित हो रहे हैं।….
केस-1
रेनू (परिवर्तित नाम) और सचिन (परिवर्तित नाम) की शादी वर्ष 2018 में हुई शादी के बाद रेनू घर के बाहर नौकरी करने के लिए
कहने लगी जिसे सचिन के घर वालों ने नहीं माना इस वजह से दोनों के बीच विवाद बढ़ता गया मामला तलाक तक पहुंच चुका
है और परिवार न्यायालय इंदौर में दोनों के बीच तलाक का मुकदमा लंबित है।
केस-2
महेश और निशा (दोनों का परिवर्तित नाम)की शादी 2015 में हुई दोनों की एक संतान भी है लेकिन सोशल मीडिया पर महेश
की अनेक लड़कियों से बातचीत की वजह से महेश हो निशा के बीच विवाद पर चले गए परिणाम स्वरूप मामला विवाह विच्छेद
केस के रूप में परिवार न्यायालय में विचाराधीन है।
केस-3
महक और उमेश दोनों ही अरेंज कम लव मैरिज से आपस में विवाह के बंधन में बंधे दोनों के बीच में 2016 विवाह संपादित
हुआ लेकिन मायके पक्ष के हस्तक्षेप के चलते वैवाहिक जीवन बिगड़ने लगा, नौबत तलाक लेने तक की आ गई है दोनों के
बीच में 2018 में तलाक हो गया।
फैमिली कोर्ट इंदौर के आंकड़े
इंदौर परिवार न्यायालय में आंकड़ों की ओर ध्यान दें तो वर्ष 2018 में लगभग 2250 प्रकरण, वर्ष 2019 में 2400 प्रकरण,
वर्ष 2020 में लगभग 1700 प्रकरण एवं वर्ष 2021 में अभी तक लगभग 2500 प्रकरण हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के
तहत धारा 13 ए (एकतरफा तलाक), 13-b (आपसी सहमति से तलाक) एवं धारा 9 विवाह की (पुनर्स्थापना)के वाद लगे हैं
वर्तमान में छोटी-छोटी बातों पर पारिवारिक विवाद इस कदर बढ़ रहे हैं जो कि आगे चलकर तलाक का रूप ले रहे हैं।
सामाजिक व्यवस्था में शादी का महत्व
सामाजिक व्यवस्था में शादी अथवा विवाह बंधन का महत्वपूर्ण स्थान है विवाह आदि काल से चला आ रहा है प्रत्येक धर्म में
विवाह के अपने रीति रिवाज और नियम होते हैं विवाह का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को भरण पोषण करना, वंश
को बढ़ाना, पुरुषों को दायित्वाधीन बनाना इत्यादि ही नहीं होता बल्कि सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए भी
आवश्यक होता है पश्चिमी देशों से लिव इन परंपरा का अनुसरण भारत के मेट्रो शहरों में तो लंबे समय से प्रारंभ हुई गया था
किंतु यह स्थिति कमोबेश हर राज्य में वर्तमान में हो चुकी है और तेजी से बढ़ रही तलाक दर, युवा पीढ़ी में विवाह के प्रति
अरुचि और लिव इन रिलेशन के प्रति रुझान अत्यंत ही चिंताजनक है जो सामाजिक ताने-बाने समाप्त कर एक पारिवारिक
अराजकता का माहौल उत्पन्न करने का संकेत दे रहे हैं।
देश में भी तेजी से बढ़ रहे हैं तलाक के मुकदमे
एक दशक पूर्व के आंकड़े यह दर्शा रहे थे कि भारत में विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार और बंधन के रूप में प्रत्येक धर्म में देखा गया है और इसके प्रति विवाह के दोनों पक्षकार अत्यंत गंभीर रहकर पूरा जीवन साथ बिताते रहे हैं विवाह विच्छेद की संभावनाएं अत्यंत कम रही हैं भारत में प्रत्येक 1000 विवाहो में से 7 विवाह आंकड़ों के अनुसार विवाह विच्छेद अथवा तलाक हेतु आरक्षित रहा है जबकि अन्य देशों में यह स्थिति नहीं है अमेरिका में प्रत्येक 100 में से 50 विवाह लगभग तलाक अथवा डाइवोर्स के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं कमोबेश यही स्थिति अन्य देशों की रही है स्वीडन में 54% रूस में 43% इंग्लैंड में 42% जर्मनी में 39% सिंगापुर में 17% इजराइल में 14% जापान में 2% श्रीलंका में 1.5% प्रतिशत और वर्तमान में भारत में यह 1% की ओर बढ़ चुकी है अर्थात प्रत्येक 100 शादियों में से एक शादी तलाक की ओर बढ़ रही है निसंदेह अन्य देशों के आंकड़ों के सामने भारत की स्थिति वर्तमान में अच्छी दिखाई दे रही है किंतु जिस प्रकार से तेजी से तलाक के मामले बढ़े हैं वे भविष्य की एक भयावह तस्वीर को सामने ला रहे हैं।तलाक पर रिसर्च
इंदौर के विधि विशेषज्ञ अधिवक्ता पंकज वाधवानी ने तलाक के मामलों में रिसर्च करते हुए जानकारी दी कि जिस प्रकार से
वर्तमान जीवन शैली आधुनिक हुई है और मोबाइल क्रांति की वजह से आई सोशल मीडिया के संपर्क में प्रत्येक व्यक्ति के
सोच ,विचार एवं आचरण में काफी हद तक बदलाव आया है यह पुरानी पारंपरिक सोच के प्रति आकर्षण कम करते हुए एक
स्वच्छंद जीवन शैली का निर्माण कर रहा है वर्तमान में व्यक्ति सामाजिक परंपराओं और सामाजिक निष्ठाओं की उपेक्षा करने
में कोई परहेज नहीं कर रहा है पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति के अनुसार आज में ही जीने की मनोवृति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा
रही है और यही कारण है कि विवाह जैसे संस्कार तेजी से कमजोर होते जा रहे हैं विवाह विच्छेद के विभिन्न कारणों में सिर्फ
मानसिक एवं वैचारिक तालमेल नहीं बैठ ना ही अब प्रमुख कारण नहीं है इसके अलावा बढ़ता अविश्वास एक दूसरे के प्रति
दायित्व के निर्वहन में गंभीरता की कमी, कानूनों का दुरुपयोग इत्यादि प्रमुख कारण बन चुके हैं भारत में तलाक के प्रकार
मुख्यतः नगरीकरण, आधुनिकीकरण, मोबाइल इंटरनेट का बहु प्रयोग, व्यक्तिगत स्वतंत्रता घटती निर्भरता महिला
सशक्तिकरण ससुराल पक्ष का व्यवहार बढ़ता मतभेद वैचारिक तालमेल का न मिलना कानूनों का दुरुपयोग इत्यादि सामने
आया है दहेज प्रताड़ना के मुकदमें अर्थात धारा 498 के केस लगने के उपरांत परिवार फिर से जुड़ पाना बहुत ज्यादा मुश्किल
हो जा रहा है इसी प्रकार भरण पोषण देने में त्रुटि करने वाले पति को जेल होने के पश्चात तलाक के प्रकरण भी बढ़ते हैं ऐसी
स्थिति में काउंसलिंग एवं अनुभवी समाज शास्त्रियों की मदद ली जा कर इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है,
पारिवारिक मामले विशेषता पति-पत्नी के मध्य वैचारिक तालमेल नहीं बैठने जैसे मामलों में अपराधिक कानूनों का हस्तक्षेप
पूरी तरीके से समाप्त कर देना चाहिए अन्यथा भविष्य में स्थिति और अधिक बिगड़ जाएगी।
Comments (2)
Edna Watson
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Scott James
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